UPSC topper Birdev Siddappa Done : कोल्हापुर के एक साधारण मेंढपाळ परिवार से ताल्लुक रखने वाले बिरदेव सिद्धप्पा डोणे ने UPSC 2024 परीक्षा में 551वीं रैंक हासिल कर इतिहास रच दिया। गरीबी और संसाधनों की कमी के बावजूद, अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने IPS अधिकारी बनने का सपना पूरा किया, जो पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन गया है।
HIGHLIGHTS
1. कोल्हापुर के बिरदेव सिद्धप्पा डोणे ने UPSC 2024 में हासिल की 551वीं रैंक।
2. गरीबी से लड़कर बिरदेव बने IPS, प्रेरणा बने देश के युवाओं के लिए।
4. भेड़ें चराते वक्त फोन पर मिली सफलता की खबर, आंसुओं ने बयां की मेहनत।।
5. तीसरे प्रयास में पास की UPSC परीक्षा, COEP पुणे से की थी ग्रेजुएशन।
Birdev Siddappa Done
मेहनत, लगन और शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति की एक दिल को छू लेने वाली कहानी में, महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले की धनगर समुदाय से आने वाले 27 वर्षीय बिरदेव सिद्धप्पा डोने ने UPSC की सफलता की कहानियों में अपना नाम दर्ज कर लिया है। 22 अप्रैल 2025 को, बेलगावी के पास घने जंगलों में अपनी पारिवारिक भेड़ों को चराते समय, बिरदेव को एक ऐसा फोन कॉल आया जिसने उनकी जिंदगी बदल दी: उन्होंने UPSC सिविल सर्विसेज परीक्षा 2024 में ऑल इंडिया रैंक (AIR) 551 हासिल की और अपनी पहली ही कोशिश में IPS अधिकारी बनने का रास्ता तैयार कर लिया।
बिरदेव की यात्रा वाकई में असाधारण है। कोल्हापुर के कागल तालुका के यमागे गांव से आने वाले बिरदेव एक बेहद गरीब परिवार में पले-बढ़े हैं ।, उनके पिता, सिद्धप्पा डोने, और परिवार अपनी आजीविका के लिए भेड़-बकरियां चराने पर निर्भर थे, और अक्सर उनके पास लंबे दिन के बाद वापस लौटने के लिए एक ठोस घर भी नहीं होता था। फिर भी, इन कठिनाइयों के बीच, बिरदेव ने एक ऐसा सपना पाला जो उनकी परिस्थितियों में दूर की कौड़ी लगता था ।
Birdev Siddappa Done का UPSC तक का सफर
Birdev Siddappa Done की शैक्षिक यात्रा उनके गांव के जिला परिषद स्कूल से शुरू हुई, जहां उनकी प्रतिभा ने जल्दी ही सबका ध्यान खींचा। मुरगुड़ केंद्र में कक्षा 10 में 96% अंक प्राप्त करने और कक्षा 12 में साइंस स्ट्रीम में टॉप करने के साथ, उन्होंने अपने खिलाफ हर बाधा को पार किया। आगे की पढ़ाई करने के लिए बड़े शहरों में नहीं पहुंच पाए , जिसकी वजह से बिरदेव अक्सर खुले आसमान के नीचे पढ़ाई किया करते थे। उनकी लगन ने उन्हें पुणे के प्रतिष्ठित कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग पुणे (COEP) तक पहुंचाया, जहां उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन पूरी की और फिर UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए ।
सफलता का रास्ता आसान नहीं था। आर्थिक तंगी हमेशा सिर पर मंडराती रही थी , लेकिन बिरदेव को अपने भाई वासुदेव डोने का साथ मिला, जो भारतीय सेना में सेवा करते हैं। वासुदेव ने बिरदेव की UPSC यात्रा को आर्थिक रूप से समर्थन दिया, जिससे उन्हें अपने सपने को पूरा करने के लिए संसाधन मिल सके। 2020-21 में, बिरदेव ने कुछ समय के लिए इंडिया पोस्ट में पोस्टमैन के रूप में काम किया, जिसने उन्हें थोड़ी स्थिरता दी। हालांकि, उनका दिल सिविल सेवाओं पर अड़ा था, और एक साहसिक कदम उठाते हुए, उन्होंने अपनी UPSC की तैयारी पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने के लिए नौकरी छोड़ दी।
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जीत का पल
जीत का पल अप्रत्याशित रूप से 22 अप्रैल 2025 को आया। जब बिरदेव बेलगावी के पास एक जंगल में अपने परिवार की भेड़ों को चरा रहे थे, तब उनके दोस्त का एक कॉल आया, जिसने उनकी आंखों में आंसू ला दिए: “बिरदेव, तू पास हो गया! तेरी UPSC में 551वीं रैंक आई है, तू अफसर बन गया!” भावनाओं से अभिभूत बिरदेव को इस खबर पर यकीन ही नहीं हुआ। उनके चाचा, जो उस समय वहां मौजूद थे, उन्होंने उनके सिर पर पीला पगड़ी बांधा और उनके माथे पर हल्दी लगाया। इस पल की एक तस्वीर, जिसमें बिरदेव एक बकरी को पकड़े हुए अपनी चमकती मुस्कान के साथ नजर आ रहे हैं, यह जल्द ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और पूरे देश में लोगों का दिल जीत लिया।

समुदाय का गर्व
बिरदेव की सफलता की खबर जंगल में आग की तरह फैल गई, और उनके गांव यमागे में उत्सव का माहौल बन गया। फूलों की मालाओं से लदे और परिवार व शुभचिंतकों से घिरे बिरदेव का पारंपरिक समारोह में सम्मान किया गया, जो समुदाय के गर्व को दर्शाता था। उनके पिता, सिद्धप्पा डोने, हालांकि सिविल सेवाओं की बारीकियों से अनजान थे, अपने बेटे की मेहनत और समर्पण पर गर्व से फूले नहीं समा रहे थे। बिरदेव के पिता ने कहा “मुझे पता था कि वह कड़ी मेहनत कर रहा है, लेकिन उसे यह हासिल करते देख मेरा दिल खुशी से भर गया” ।
IPS Birdev Siddappa Done : एक प्रेरणा का स्रोत
बिरदेव की कहानी सिर्फ व्यक्तिगत सफलता की नहीं है; यह उन हजारों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो इसी तरह की कठिन परिस्थितियों में अपने सपनों को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं। धनगर समुदाय, जो पारंपरिक रूप से भेड़-बकरी चराने के लिए जाना जाता है, बिरदेव की उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहा है। उनकी सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया कि शिक्षा और मेहनत किसी भी बाधा को पार कर सकती है।
जैसा कि बिरदेव ने एक साक्षात्कार में कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं यहां तक पहुंचूंगा, लेकिन मेरे परिवार और मेरे सपनों ने मुझे हार नहीं मानने दी। मैं अपने समुदाय और अपने देश की सेवा करना चाहता हूं।” बिरदेव की यह यात्रा न केवल उनके गांव बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन गई है, जो यह सिखाती है कि सपने देखने और उन्हें पूरा करने की हिम्मत हर किसी में होनी चाहिए—चाहे वह जंगल में भेड़ चराने वाला चरवाहा ही क्यों न हो।
बिरदेव डोने की कहानी हमें याद दिलाती है कि शिक्षा और मेहनत के बल पर कोई भी अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता है। उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार और समुदाय के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है ।