मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य के सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए एक बड़ी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में शीघ्र ही लगभग 4 लाख सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रमोशन दिया जाएगा। इस घोषणा से उन कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है, जो लंबे समय से अपने प्रमोशन का इंतजार कर रहे थे। सीएम मोहन यादव ने इस कदम को अपनी सरकार की “असरदार सरकार” की पहचान के रूप में पेश किया है, जिसे उन्होंने “मोहन सरकार” के नाम से ब्रांड किया है।

प्रमोशन की घोषणा से कर्मचारियों में उत्साह
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंगलवार को इस महत्वपूर्ण घोषणा को साझा करते हुए कहा, “हमारी सरकार मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। लगभग 4 लाख अधिकारियों और कर्मचारियों को जल्द ही प्रमोशन दिया जाएगा। यह कदम न केवल कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाएगा, बल्कि प्रशासनिक कार्यों में भी तेजी लाएगा।” इस घोषणा के साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि प्रमोशन की प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा।
यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारी लंबे समय से प्रमोशन और अन्य सुविधाओं की मांग कर रहे थे। कर्मचारी संगठनों ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे कर्मचारी हित में एक सकारात्मक पहल बताया है। एक कर्मचारी नेता ने कहा, “हम इस घोषणा से बहुत खुश हैं। यह हमारी लंबे समय की मांग थी, और अब हमें उम्मीद है कि यह प्रक्रिया जल्द पूरी होगी।”
मोहन यादव की “असरदार सरकार”
मोहन यादव ने 11 दिसंबर 2023 को मध्यप्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता मोहन यादव उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और 2013 से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने से पहले वे शिवराज सिंह चौहान की सरकार में शिक्षा मंत्री के रूप में कार्यरत थे। उनके नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार ने कई जनकल्याणकारी योजनाओं को लागू किया है, जिनमें युवा, महिला, किसान और गरीब वर्गों के लिए चार नई मिशन योजनाएं शामिल हैं।
The Hindu की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मोहन यादव की सरकार ने 2024-25 के बजट में लाड़ली बहना योजना के लिए 18,984 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, जो उनके पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुरू की गई थी। इस बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के लिए भी बड़ी राशि आवंटित की गई थी।
इन मिशनों में युवा शक्ति मिशन, गरीब कल्याण मिशन, किसान कल्याण मिशन और महिला सशक्तिकरण मिशन शामिल हैं, जिन्हें 1 जनवरी 2025 से शुरू किया गया है। इन योजनाओं का उद्देश्य राज्य के विभिन्न वर्गों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाना है। सीएम यादव ने कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य मध्यप्रदेश को देश का अग्रणी राज्य बनाना है, और इसके लिए वे जनता की भागीदारी और विश्वास को अपनी सबसे बड़ी ताकत मानते हैं।
कर्मचारी कल्याण पर विशेष ध्यान
मोहन यादव की सरकार ने कर्मचारी कल्याण को अपनी प्राथमिकता में रखा है। इस घोषणा से पहले भी उनकी सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जो कर्मचारियों के हित में हैं। हाल ही में, दमोह के एक अस्पताल में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट के मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए सीएम यादव ने यह संदेश दिया था कि उनकी सरकार में किसी भी तरह की अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले में सात मरीजों की मौत के बाद फर्जी डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई थी।
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इसके अलावा, मोहन यादव ने राज्य में प्रशासनिक सुधारों पर भी जोर दिया है। प्रमोशन की यह घोषणा न केवल कर्मचारियों के लिए एक राहत है, बल्कि यह सरकार की उस प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है, जो उसने अपने “सार्वजनिक कल्याण राज्य” के विजन के तहत की है।
मध्यप्रदेश में विकास की नई दिशा
मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने पिछले कुछ महीनों में कई क्षेत्रों में प्रगति की है। राज्य में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि क्षेत्र में कई नई पहल शुरू की गई हैं। हाल ही में, दिल्ली में आयोजित होने वाले “किसान कुंभ 2025” की घोषणा भी मयंक शुक्ला ने अपने एक अन्य पोस्ट में की थी, जिसमें किसानों के लिए नई तकनीकों और समाधानों को प्रदर्शित किया जाएगा।
इसके साथ ही, सीएम यादव ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का सार्वजनिक कल्याण बजट पारित किया है, और आने वाले वर्षों में इसे दोगुना करने का लक्ष्य है। इस तरह के कदमों से मध्यप्रदेश में विकास की एक नई दिशा दिखाई दे रही है।
कर्मचारियों में उम्मीद की किरण
इस प्रमोशन की घोषणा ने मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारियों में एक नई उम्मीद जगाई है। कर्मचारी अब इस प्रक्रिया के जल्द शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। इस कदम से न केवल कर्मचारियों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।
मोहन यादव की यह पहल उनकी सरकार की उस छवि को और मजबूत करती है, जो जनता के हित में काम करने वाली एक “असरदार सरकार” के रूप में उभर रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह घोषणा कैसे लागू होती है और इसका राज्य के कर्मचारियों और प्रशासन पर क्या प्रभाव पड़ता है।